मास्को. एक ओर जहां पूरी दुनिया धूम्रपान और शराब पीने से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को लेकर चिंतित है वहीं किसी सरकार की ओर से इस बुराई को बढ़ावा देने की खबर चौंकाने वाली लगती है।
रूस के वित्त मंत्री एलेक्सी कुदरीन ने देश के नागरिकों को छककर शराब पीने और जमकर सिगरेट के छल्ले उड़ाने को कहा है। उनका तर्क है कि ऐसा करने से टैक्स रेवेन्यू बढ़ेगा जिसे सामाजिक कार्यों पर खर्च किया जा सकेगा। समाचार एजेंसी इंटरफैक्स ने कुदरीन के हवाले से कहा, ‘यदि आप एक पैकेट सिगरेट पीते हैं तो इसका मतलब है कि आप सामाजिक समस्याओं को हल करने में सरकार की मदद कर रहे हैं।’
शराब और सिगरेट को बढ़ावा देने की सरकार की इस पहल को काफी आलोचना का सामना करना पड़ सकता है। यहां शराब और सिगरेट से होने वाली मौतों की दर भी काफी अधिक है। रूस में शराब पीने से हर साल पांच लाख लोगों की मौत हो जाती है। यहां 65 फीसदी पुरुष सिगरेट पीते हैं और औसत नागरिक हर साल 18 लीटर शराब पी जाता है।
रूस में नशे के शौकीनों की बढ़ती संख्या की वजह भी है। यहां अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में अल्कोहल और सिगरेट पर लगने वाले टैक्स की दर काफी कम है। सरकार इन दरों में दोगुनी बढ़ोतरी करने की योजना बना रही है।
रूस के वित्त मंत्री एलेक्सी कुदरीन ने देश के नागरिकों को छककर शराब पीने और जमकर सिगरेट के छल्ले उड़ाने को कहा है। उनका तर्क है कि ऐसा करने से टैक्स रेवेन्यू बढ़ेगा जिसे सामाजिक कार्यों पर खर्च किया जा सकेगा। समाचार एजेंसी इंटरफैक्स ने कुदरीन के हवाले से कहा, ‘यदि आप एक पैकेट सिगरेट पीते हैं तो इसका मतलब है कि आप सामाजिक समस्याओं को हल करने में सरकार की मदद कर रहे हैं।’
शराब और सिगरेट को बढ़ावा देने की सरकार की इस पहल को काफी आलोचना का सामना करना पड़ सकता है। यहां शराब और सिगरेट से होने वाली मौतों की दर भी काफी अधिक है। रूस में शराब पीने से हर साल पांच लाख लोगों की मौत हो जाती है। यहां 65 फीसदी पुरुष सिगरेट पीते हैं और औसत नागरिक हर साल 18 लीटर शराब पी जाता है।
रूस में नशे के शौकीनों की बढ़ती संख्या की वजह भी है। यहां अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में अल्कोहल और सिगरेट पर लगने वाले टैक्स की दर काफी कम है। सरकार इन दरों में दोगुनी बढ़ोतरी करने की योजना बना रही है।



























क्या आज कम्प्यूटर के बिना की दुनिया सोच सकते हैं? आज यह लेख भी अपने पीसी पर ही पढ रहे होंगे. कम्प्यूटर हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं. कम्प्यूटर का उपयोग यूँ तो द्वितीय विश्वयुद्ध के समय से ही शुरू हो गया था परंतु तब तक “पीसी” नहीं बने थे. परंतु 1976 में स्टीव वोज़िनिएक और स्टीफन जॉब्स से अपने घर के गैराज में एक कम्प्यूटर सिस्टम बनाया जो भविष्य में दुनिया भर में छा जाने वाला था – “एपल“. आज सोचिए पर्सनल कम्प्यूटर हमारे लिए कितने काम करता है. लाखों करोडों लोगों का रोजगार भी इन पर निर्भर है.




