बीजिंग. आर्थिक मोर्चे पर सबसे बड़ी ताकत बनने की ओर बढ़ रहे चीन में आजकल ट्रैफिक जाम का रिकॉर्ड बन रहा है। वहां बीजिंग-तिब्बत हाईवे पर 120 किलोमीटर लंबा जाम लगा है।
कुछ महीने पहले बीजिंग-तिब्बत हाईवे के समानांतर एक सड़क बनाने का काम शुरू हुआ है। तब से यहां जाम आम हो गया है। 14 अगस्त से ही लगा यह जाम एक तरह से लगातार जारी है। अब तक का सबसे लंबा जाम 100 किलोमीटर का लगा था, लेकिन गुरुवार को सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी ने बताया कि ओर्डोस और जिनिंग को जोड़ने वाली सड़क पर 120 किलोमीटर लंबा जाम लगा है। जाम में कोयला लदे 10 हजार से भी ज्यादा ट्रक फंसे हुए हैं। इस जाम में फंसी कारों की लंबी कतार लगी है।
चीन ने हाल ही में जापान को पछाड़ कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव हासिल किया है। विकास की कीमत कई तरह से चुकानी पड़ती है, जिनमें जाम में फंसना भी एक है।
दिल्ली में रोज 11.5 करोड़ रुपये स्वाहा
विकास में चीन से होड़ लेने में लगे भारत को भी इसकी खासी कीमत चुकानी पड़ती है। देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर लगने वाले ट्रैफिक जाम में ही रोज 11.5 करोड़ रुपये स्वाहा हो जाते हैं। सेंटर फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया नाम की संस्था की एक साल पुरानी रिपोर्ट पर आधारित इस आंकड़े के हिसाब से ट्रैफिक जाम के चलते दिल्लीवालों को सालाना करीब 42 अरब रुपये की चपत लगती है। दिल्ली में रोज करीब हजार गाडि़यों का रजिस्ट्रेशन होता है।
ढाकावासियों को 200 अरब टका का नुकसान
पड़ोसी बांग्लादेश की राजधानी ढाका का तो हाल काफी बुरा है। ढाका की सड़कों पर लगने वाले ट्रैफिक जाम में हर साल 200 अरब टका स्वाहा हो जाते हैं। ट्रैफिक जाम की वजह से ढाकावासियों के 81.50 करोड़ घंटे बर्बाद होते हैं।
कुछ महीने पहले बीजिंग-तिब्बत हाईवे के समानांतर एक सड़क बनाने का काम शुरू हुआ है। तब से यहां जाम आम हो गया है। 14 अगस्त से ही लगा यह जाम एक तरह से लगातार जारी है। अब तक का सबसे लंबा जाम 100 किलोमीटर का लगा था, लेकिन गुरुवार को सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी ने बताया कि ओर्डोस और जिनिंग को जोड़ने वाली सड़क पर 120 किलोमीटर लंबा जाम लगा है। जाम में कोयला लदे 10 हजार से भी ज्यादा ट्रक फंसे हुए हैं। इस जाम में फंसी कारों की लंबी कतार लगी है।
चीन ने हाल ही में जापान को पछाड़ कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव हासिल किया है। विकास की कीमत कई तरह से चुकानी पड़ती है, जिनमें जाम में फंसना भी एक है।
दिल्ली में रोज 11.5 करोड़ रुपये स्वाहा
विकास में चीन से होड़ लेने में लगे भारत को भी इसकी खासी कीमत चुकानी पड़ती है। देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर लगने वाले ट्रैफिक जाम में ही रोज 11.5 करोड़ रुपये स्वाहा हो जाते हैं। सेंटर फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया नाम की संस्था की एक साल पुरानी रिपोर्ट पर आधारित इस आंकड़े के हिसाब से ट्रैफिक जाम के चलते दिल्लीवालों को सालाना करीब 42 अरब रुपये की चपत लगती है। दिल्ली में रोज करीब हजार गाडि़यों का रजिस्ट्रेशन होता है।
ढाकावासियों को 200 अरब टका का नुकसान
पड़ोसी बांग्लादेश की राजधानी ढाका का तो हाल काफी बुरा है। ढाका की सड़कों पर लगने वाले ट्रैफिक जाम में हर साल 200 अरब टका स्वाहा हो जाते हैं। ट्रैफिक जाम की वजह से ढाकावासियों के 81.50 करोड़ घंटे बर्बाद होते हैं।
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